वह हजार दुश्मने-जाँ सही मुझे फिर भी गैर अजीज है..
जिसे खाके-पा तेरी छू गई, वह बुरा भी हो तो बुरा नही..!”
खाके-पा – पांव की धूल
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वह हजार दुश्मने-जाँ सही मुझे फिर भी गैर अजीज है..
जिसे खाके-पा तेरी छू गई, वह बुरा भी हो तो बुरा नही..!”
खाके-पा – पांव की धूल