गैर अजीज है

वह हजार दुश्मने-जाँ सही मुझे फिर भी गैर अजीज है..
जिसे खाके-पा तेरी छू गई, वह बुरा भी हो तो बुरा नही..!”

खाके-पा – पांव की धूल

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