पांव सूखे हुए पत्तों पे अदब से रखना धूप में मांगी थी तुमने पनाह इनसे कभी
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Woh Kehte Hai
Woh Kehte Hai; Sabhi Ghazlein Mujhe Kaghaz Pey Likh Bhejo, Main Kehta Hoon; Meri Ghazlein To Sab Teri Hi Baatien Hain.
बाज़ार-ए-वफ़ा
नीलाम कुछ इस कदर हुए, बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज.. बोली लगाने वाले भी वो ही थे, जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे..
ज़रा सम्भाल कर
ज़रा सम्भाल कर रखियेगा इन्हे…रिश्ते हैं, कपड़े नहीं, कि रफ़ू हो जायें…!
तैर गये यूँ
तैर गये यूँ तो हम सारा समुंदर, डूबे तो तेरी आखों में डूबे…
रहने दे आसमा
किसी शायर ने खूब कहा है, रहने दे आसमा, ज़मीन की तलाश कर, सब कुछ यही है, कही और न तलाश कर. हर आरज़ू पूरी हो, तो जीने का क्या मज़ा, जीने के लिए बस एक खूबसूरत वजह की तलाश कर, ना तुम दूर जाना ना हम दूर जायेंगे, अपने अपने हिस्से कि दोस्ती निभाएंगे,… Continue reading रहने दे आसमा
खुद को जो
खुद को जो सूरज बताता फिर रहा था रात को दिन में उस जुगनू का अब चेहरा धुआं होने को था
कौन कब किसका हुआ
वो हमारे हो गए ये क्या कम बात है खुद ग़रज़ दुनिया में वरना कौन कब किसका हुआ
फूल की खुशबू
फूल की खुशबू ही तय करती है उसकी कीमतें, क्या कभी तुमने सुना है, खार का सौदा हुआ
रिश्वतो के सिलसिले
चल रहे है जमाने में रिश्वतो के सिलसिले; तुम भी कुछ ले-दे कर, मुझसे मोहब्बत कर लो….