बापिस न जायेगी एक बूँद भी पैमाने में ।। ला पिला दे साकी जितनी भी है तेरे मयखाने में ।।
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अजीब सी कशिश है
सर्द हवा में भी एक अजीब सी कशिश है !! याद उसी की दिलाती है जिसकी बाहों में गर्माहट आती है..!!
याद करने कि
अगर लम्हा याद करने कि अगर क़ीमत हो “एक पैसा” तो सुनो…. तुम अरबों के कर्ज़दार हो मेरे..!!
बसेरो की तलाश है
ना जाने किन रैन बसेरो की तलाश है इस चाँद को, रात भर बिना कंबल के तन्हा भटकता है, आसमान मे…
हम राहगीर वो हैं
अब हमें तलाश बस नए रास्तों की है….!! . . हम राहगीर वो हैं, जो मंज़िल से आये है….
मोहब्बत के क़र्ज़
उसकी मोहब्बत के क़र्ज़ का अब कैसे हिसाब हो गले लगा कर कहती आप बड़े खराब हो।।
कहानियाँ लिखने लगा हूँ
कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब शायरियों मेँ अब तुम समाते नहीँ
अभी मौजूद है
अभी मौजूद है इस गाँव की मिट्टी में खुद्दारी अभी बेवा की गैरत से महाजन हार जाता है
चंद जुमले बनकर
चंद जुमले बनकर…काग़ज पर बिखर जाता हूँ मैं… जिस नज़र से देखिये…वैसा ही नजर आता हूँ मैं..!
वक्त ज़ालिम है
हम ना कहते थे वक्त ज़ालिम है,देखलो ! ख़्वाब हो गए तुम भी