जिस कदर मेरी

जिस कदर मेरी ख्वाहिशों की पतंग उड़ रही है, एक न एक दिन कटकर लूट ही जानी है….

आँधियों जाओ अब करो

आँधियों जाओ अब करो आराम, हम खुद अपना दिया बुझा बैठे

समंदर बेबसी अपनी

समंदर बेबसी अपनी किसीसे कह नहीं सकता, हजारों मील तक फैला है फिर भी बह नहीं सकता !!

कुछ तो सम्भाला होता…

कुछ तो सम्भाला होता…. मुझे भी खो दिया तुमने…..

वक़्त को मेरी फ़िक्र थी..

वक़्त को मेरी फ़िक्र थी.. उसे शायद ये पता नहीं था.. की वो भी गुज़र रहा है..!!

सिर्फ पढने भर का

सिर्फ पढने भर का रिश्ता मत रखिये कभी खैरियत भी तो पूछ लिया कीजिये..!!

यूँ ही आँखें

यूँ ही आँखें किसी की नम नहीं होतीं। दिल टूटता है पहले, फिर बनते हैं मोती।

मैं आदमी हूँ

मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया

जो गुज़ारी न जा सकी

जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

ज़िंदगी जिनसे हो

ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद

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