कोई छाँव, तो कोई शहर ढूंढ़ता है मुसाफिर हमेशा ,एक घर ढूंढ़ता है।। बेताब है जो, सुर्ख़ियों में आने को वो अक्सर अपनी, खबर ढूंढ़ता है।। हथेली पर रखकर, नसीब अपना क्यूँ हर शख्स , मुकद्दर ढूंढ़ता है ।। जलने के , किस शौक में पतंगा चिरागों को जैसे, रातभर ढूंढ़ता है।। उन्हें आदत नहीं,इन… Continue reading घर ढूंढ़ता है
Tag: Shayari
खुदा से मोहब्बत है
तुमसे नहीं तेरे अंदर बैठे खुदा से मोहब्बत है मुझे, तू तो फ़क़त एक ज़रिया है मेरी इबादत का!
मौका दे दे
गालिब ने भी क्या खूब लिखा है… दोस्तों के साथ जी लेने का मौका दे दे ऐ खुदा… तेरे साथ तो मरने के बाद भी रह लेंगें ।
चुटकियों में ऊड़ाया
मैं भी तो इक सवाल था हल ढूँढते मेरा ये क्या कि चुटकियों में ऊड़ाया गया मुझे
दिलों में नफ़रत
क्या मिलेगा दिलों में नफ़रत रख कर बड़ी मुख्तसर सी ज़िंदगी है मुस्कुरा के मिला करो|
मुझको मेरे वजूद
मुझको मेरे वजूद की हद तक न जानिए , बेहद हूँ, बेहिसाब हूँ, बेइन्तहा हूँ मैं …!!
कहीं इश्क़ ने
वो जो दो पल थे तेरी और मेरी मुस्कान के बीच बस वहीँ कहीं इश्क़ ने जगह बना ली.?
ठंडी नही होती
रोटी किसी माँ की कभी ठंडी नही होती। मैने फुटपाथो पर भी,जलते चूल्हे देखे है।
बिखर गयी है ज़िन्दगी
कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी है ज़िन्दगी मेरी… किसी ने समेटा ही नहीं… हाथ ज़ख़्मी होने के डर से…
रूह से निकल जाओ
बिछड़ना है तो रूह से निकल जाओ.. रही बात दिल की तो उसे हम देख लेंगे..