यही हुनर है

यही हुनर है उस स्याही का जो हर किसी की कलम में होती नहीं..

एक ही समानता है

एक ही समानता है पतंग औऱ जिंदगी में.. ऊँचाई में हो तब तक ही वाह-वाह होती है.

सोचा था घर बनाकर

सोचा था घर बनाकर बेठुंगा सुकून से, पर घर की जरूरतों ने मुसाफिर बना डाला..!!

तसव्वुर ख्वाब दरवाज़े..

तसव्वुर ख्वाब दरवाज़े..दरीचे कितने रास्ते हे तुम आओ तो सही

कौन कहता है

कौन कहता है तुझे मैंने भुला रक्खा है तेरी यादों को कलेजे से लगा रक्खा है लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं दिल ने हर राज़ मुहब्बत का छुपा रक्खा है तूने जो दिल के अंधेरे में जलाया था कभी वो दिया आज भी सीने में जला रक्खा है देख जा… Continue reading कौन कहता है

सुना है इस खेल में

सुना है इस खेल में सबके सर जाते हैं, इश्क में इतना ख़तरा है तो हम घर जाते हैं…

आखों की ख्वाहिशों को

आखों की ख्वाहिशों को हर वक़्त दरकिनार किया, ये सोचकर कि खुदा देखा नहीं पूजा जाता है।

मेरी ज़िन्दगी में

मेरी ज़िन्दगी में तेरी याद भी उसी तरह है, जैसे सर्दी की चाय में अदरक का स्वाद|

एक नींद है

एक नींद है जो लोगों को रात भर नहीं आती, और एक जमीर है जो हर वक़्त सोया रहता है।

इस खामख्याली में

इस खामख्याली में, मगरूर वो रहते हैं… सब हुनर उन्हीं के हैं, हर ऐब हमारा है….

Exit mobile version