सुकून और इश्क

सुकून और इश्क वो भी दोनों एक साथ !! रहने दो जी, कोई अक्ल की बात करो ।।

सुकून मिलता है

सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतारकर कह भी देता हूँ और आवाज भी नही होती|

तुम जो ये ख्वाब

तुम जो ये ख्वाब साथ लिए सोते हो,यही तो इश्क़ है|

इनसान बनने की फुर्सत

इनसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती, आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…!

आज फिर बैठे है

आज फिर बैठे है इक हिचकी के इंतज़ार में.. पता तो चले वो हमें कब याद करते है…

रिश्ते की गहराई

रिश्ते की गहराई अल्फाजो से मत नापो.. *सिर्फ एक सवाल सारे धागे तोड़ जाता है…!

रात ढलने लगी है

रात ढलने लगी है बदन थकान से चूर है…. ऐ ख़याल-ए-यार तरस खा सोने दे मुझे…..

ये जिंदगी तेरे साथ हो …

ये जिंदगी तेरे साथ हो … ये आरजू दिन रात हो …. मैं तेरे संग संग चलूँ … तू हर सफर में मेरे साथ हो …..

मुझे किसीसे नहीं

मुझे किसीसे नहीं अपने आप से है गिला, मैंने क्यूँ तेरी चाहत को जिन्दगी समझा|

इस कदर हम

इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए, कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए, आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था, आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!

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