हम तो मशहुर थे

हम तो मशहुर थे अपनी तनहाइयों के लिए , मुद्तों बाद किसी ने पुकारा है, एक पल तो हम रुक कर सोचने लगे, कया यही नाम हमारा है ?

मुस्कुराने से शुरु और रुलाने पे

मुस्कुराने से शुरु और रुलाने पे ख़त्म.. ये वो ज़ुल्म है जिसे लोग मुहब्बत कहते है…!

क्यूँ तुम नज़र में न

क्यूँ तुम नज़र में नहीं पर दिल में हो? आँखों से शायद बह गया तुम्हारा वजूद …

बाजार सब को तौलता है

बाजार सब को तौलता है अब तराजू में, फन बेचते अपना यहाँ फनकार भी देखे।

कदम रुक से गए

कदम रुक से गए आज फूलो को बिकता देख, वो अक्सर कहा करते थे की प्यार फूलो जैसा होता हें…

दिल की किताब में

दिल की किताब में गुलाब उनका था, रात की नींद में ख्वाब उनका था, कितना प्यार करते हो जब हमने पूछा, मर जाएंगे तुम्हारे बिना ये जवाब उनका था…

याद है मुझे रात थी

याद है मुझे रात थी उस वक़्त जब शहर तुम्हारा गुजरा था फिर भी मैने ट्रेन की खिडकी खोली थी… काश मुद्दतो बाद तुम दिख जाओ कहीं….

आदमी को परखने की

आदमी को परखने की इक ये भी निशानी है… गुफ़्तगू ही बता देती है कौन ख़ानदानी है

कौन कहता है आसमां में

कौन कहता है आसमां में सुराख़ हो नहीं सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों!

जन्नत मैं सब कुछ हैं

जन्नत मैं सब कुछ हैं मगर मौत नहीं हैं .. धार्मिक किताबों मैं सब कुछ हैं मगर झूट नहीं हैं दुनिया मैं सब कुछ हैं लेकिन सुकून नहीं हैं इंसान मैं सब कुछ हैं मगर सब्र नहीं हैं|

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