तफ़सील से तफ्तीश

तफ़सील से तफ्तीश जब हुई मेरी गुमशुदगी की, मैं टुकड़ा टुकड़ा बरामद हुई उनके ख्यालों में|

कहा सिर्फ उस ने

कहा सिर्फ उस ने इतना के ख़ामोशी है मुझे बहुत पसंद इतना सुनना था के हम ने अपनी धडकनें भी रोक ली|

मुझे समझाया न करो

मुझे समझाया न करो अब तो हो चुकी, मोहब्बत मशवरा होती तो तुमसे पूछकर करते|

कुछ अधूरे एहसासों ने

कुछ अधूरे एहसासों ने ही तो थामा है हर पल, चाँद तो पूरा होके भी रात का न हुआ……

हर मर्ज़ का इलाज

हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में… कुछ दर्द चले जाते है सिर्फ मुस्कुराने में…!!!

मौत बेवज़ह बदनाम है

मौत बेवज़ह बदनाम है साहब, जां तो ज़िंदगी लिया करती है|

गुजर जाऊंगा यूँ ही

गुजर जाऊंगा यूँ ही किसी लम्हे की तरह, और तुम….. औरो में ही उलझे रहना..!!

उसने भी तो खोया है

उसने भी तो खोया है मुझे . . . . अपना नुकसान एक जैसा है . . . .

नाराजगी बहुत वाजिब है…

तुम्हारी नाराजगी बहुत वाजिब है… मै भी खुद से खुश नहीं हूँ !

भीड़ मे हर वक्त

भीड़ मे हर वक्त मुस्कुराते हुए चेहरे हद से ज्यादा झुठ बोलते है !!

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