मेरे लफ़्ज़ों को

मेरे लफ़्ज़ों को अब भी नशा है तुम्हारा … निकल कर ज़हन से, कागज़ों पर गिर पड़ते हैं …

बड़ा मतलबी निकला

समंदर भी बड़ा मतलबी निकला,, जान लेकर लहरों से कहता है,, लाश को किनारे लगा दो।

जिसको भी देखा रोते हुए

जिसको भी देखा रोते हुए ही देखा… मुझे तो ये “मोहब्बत” साजिश लगती है रुमाल बनाने वालो की…

भाग्य रेखाओं में

भाग्य रेखाओं में तुम कहीं भी न थे प्राण के पार लेकिन तुम्हीं दीखते ! सांस के युद्ध में मन पराजित हुआ याद की अब कोई राजधानी नहीं प्रेम तो जन्म से ही प्रणयहीन है बात लेकिन कभी हमने मानी नहीं हर नये युग तुम्हारी प्रतीक्षा रही हर घड़ी हम समय से अधिक बीतते ।

इस नई उम्र में

इस नई उम्र में प्यार से हारकर ज़िन्दगी इक अजाना सा डर हो गई! एक व्यापार था इक लड़ाई सी थी प्यार में प्यार का एक पल भी न था प्रीत का जीतना एक कहानी ही है हारने के सिवा कोई हल भी न था जो बचा न सकी अपने किरदार भी वो कथा ही… Continue reading इस नई उम्र में

जागने वाले तुझे

जागने वाले तुझे ढूंढते ही रह जाएंगे… मैं तेरे सपने में आकर तुझे ले जाऊँगा

हज़ारों भुला दिए!

अभी तक, याद कर रहे हो पागल; उसने तो तेरे बाद भी, हज़ारों भुला दिए!

हुजूर मेरी तरफ

हुजूर मेरी तरफ गौर तो कीजिये,फकीर ये नही कहता गले लगा लीजिये !!

तु ही जीने की वज़ह

तु ही जीने की वज़ह है तु ही मरने का सबब है तु अजब है , तु गज़ब है , तु ही तब था तु ही अब है……..

वादा है तुमसे

वादा है तुमसे दिल बनकर तुम धड़कोगे और सांस बनकर हम आएँगे।

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