नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा, चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा !!
Tag: Pyar Shayari
मुझे कुबूल नहीं
मुझे कुबूल नहीं खुद ही दूसरा चेहरा, ख़ुशी तो मुझ को भी अक्सर तलाश करती है…
कभी इश्क़ करो
कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से.. कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता..
कहाँ उलझा पड़ा है
कहाँ उलझा पड़ा है तू उन छोटी छोटी बातों में चल कोई बड़ी बात से हम अब ये रिश्ता ख़त्म करते हैं
एक चादर साँझ ने
एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी, यह अँधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है! निर्वसन मैदान में लेटी हुई है जो नदी, पत्थरों से ओट में जा-जा के बतियाती तो है!!!
उन्होंने ये सोचकर
उन्होंने ये सोचकर अलविदा कह दिया कि गरीब है, मोहब्बत के अलावा क्या देगा|
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का, बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम.
वो एक ही चेहरा
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में, जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता। मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा, जाते हैं जिधर सब, मैं उधर क्यों नहीं जाता।
तुझसे नाराज़ होकर
तुझसे नाराज़ होकर कहाँ जाएँगे… रोएँगे तड़पेंगे फिर लौट आएँगे|
करम इतना सा
करम इतना सा करना मुझपे ए मालिक… ज़िक्र जब फ़िक्र का हो तो मुझे ही आगे करना… आग का दरिया हो या समंदर की गहराई…. मैं ही पार करुँगा पहले नहीं पड़ने दूंगा उसपे गम की कोई परछाई…