उन्होने वक्त समझकर

उन्होने वक्त समझकर गुजार दिया हमेँ… हम उन्हें जिंदगी समझकर आज भी जी रहे हैँ…

तुम करो कोशिशें

तुम करो कोशिशें मुझसे नफरत करने की मेरी तो हर एक सांस से तेरे लिए दुआ ही निकलेगी…!!

हमारी नियत का पता

हमारी नियत का पता तुम क्या लगाओगे गालिब…. हम तो नर्सरी में थे तब भी मैडम अपना पल्लू सही रखती थी….

नज़र झुका के

नज़र झुका के जब भी वो गुजरे हैं करीब से.. हम ने समझ लिया कि आदाब अर्ज़ हो गया ..

बदलते इंसानों की

बदलते इंसानों की बातें हमसे न पूँछो यारों, हमने हमदर्द को भी हमारा दर्द बनते देखा है!

तुम हर तरह से

तुम हर तरह से मेरे लिए ख़ास हो,शुक्रिया वो बनने के लिए जो तुम हो…

दर्द ओर आसूं

मुहब्बत कितनी सच्ची क्यों न हो एक दिन दर्द ओर आसूं जरुर देती है।

इश्क़ बुझ चुका है

इश्क़ बुझ चुका है, क्यूंकि हम ज़ल चुके हैं|

हजारों चेहरों में

हजारों चेहरों में,एक तुम ही थे जिस पर हम मर मिटे वरना.. ना चाहतों की कमी थी,और ना चाहने वालों की…!!

जिसको मौका मिलता है

जिसको मौका मिलता है पीता ज़रूर है, ना जाने क्या मिठास है गरीब के खून मेँ…!

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