दर्द लफ़्ज़ों में

दर्द लफ़्ज़ों में बयाँ होकर भी दर्द ही रहता है, और प्यार ख़ामोश रहकर भी मुस्कुराता है..

ऐसा नहीं कि

ऐसा नहीं कि शख्स अच्छा नहीं था वो, जैसा मेरे ख्याल में था, बस वैसा नहीं था वो….

हाथों की हथेली

अपने हाथों की हथेली पर उसका नाम तो लिख दिया… पर ये सोच कर बहुत रोया के तकदीर तो खुदा लिखता है..

बड़ी लगने लगी

ख्वाहिशें तो मेरी छोटी छोटी ही थी पुरी ना हुई तो बड़ी लगने लगी..

एक ही बात सच है

एक ही बात सच है दुनिया में… आप किसी को हमेशा खुश नहीं रख सकते|

बहुत बेदर्द बेठे है

हर शख्स परिंदों का हमदर्द नही होता मेरे दोस्त, बहुत बेदर्द बेठे है दुनिया में, जाल बिछाने वाले !!…

यकीन था कि

यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझको, खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे ….!!

कोई कह दे

कोई कह दे उनसे जाकर की छत पे ना जाया करे .. . . शहर मे बेवजह, ईद की तारीख बदल जाती है..!!

गुनगुनाने की कोशिश

मैं तेरी ही ग़ज़ल का कोई शेर हूँ ए-ज़िंदगी तू मुझे फिर से गुनगुनाने की कोशिश तो कर…..

हार गयी तकदिर

कुछ हार गयी तकदिर, कुछ टूट गये सपने, कुछ गैरो ने बरबाद किया, कुछ छोड़ गये अपने…!!

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