जो गीत तुमने सुना नहीं

वो जो गीत तुमने सुना नहीं , मेरे उम्र भर का रियाज़ था ..

मैं अगर खत्म भी

मैं अगर खत्म भी हो जाऊँ इस साल की तरह… तुम मेरे बाद भी संवरते रहना नए साल की तरह…

उस टूटे झोपड़े में

उस टूटे झोपड़े में बरसा है झुम के भेजा ये कैसा मेरे खुदा सिहाब जोड़ के

दुआएं इकट्ठी करने मे

दुआएं इकट्ठी करने मे लगा हूं, सुना है दौलत शौहरत साथ नही जाती…

यूँ उतरेगी न गले से

यूँ उतरेगी न गले से ज़रा पानी तो ला, चखने में कोई मरी हुई कहानी तो ला!

साँस थम जाती है

साँस थम जाती है पर जान नहीं जाती; दर्द होता है पर आवाज़ नहीं आती; अजीब लोग हैं इस ज़माने में ऐ दोस्त; कोई भूल नहीं पाता और किसी को याद नहीं आती।

तेरे दावे है

तेरे दावे है तरक़्क़ी के तो ऐसा होता क्यूँ है मुल्क मेरा अब भी फुटपाथ पे सोता क्यूँ है|

उसकी बाँहो मे

कहती है…उसकी बाँहो मे ही आऊँगी… इस नींद के भी नखरे हज़ार है…

आपने ताली बजा डाली

इतना भी आसान मतलब नहीं था मेरा, जितनी जल्दी आपने ताली बजा डाली !!

मज़बूत से मज़बूत लोहा

मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है कई झूठे इकट्ठे हों तो सच्चा टूट जाता है|

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