उड़ना…. बेख़ौफ़ कहाँ आसान था…. मन तभी चिड़िया हुआ जब तू आसमान था ….!
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एक एक पन्ना
एक एक पन्ना हर कोई बांट लेते है मतलब की… सुबह-सुबह मां घर में अखबार जैसे हो जाती है…
सबूतों और गवाहों की साहब
सबूतों और गवाहों की साहब… यहाँ सेल नहीं होती, आपने जुर्म-ए-मोहब्बत किया है, इसमें बेल नहीं होती।
ये दिन अगर बुरे हैं
शाख़ें रहीं तो फूल और पत्ते भी ज़रूर आयेंगे… ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी ज़रूर आयेंगे…!!!
जरा देखो तो ये दरवाजे पर
जरा देखो तो ये दरवाजे पर दस्तक किसने दी है, अगर ‘इश्क’ हो तो कहना, अब दिल यहाँ नही रहता..
कैसे ज़िंदा रहेगी
कैसे ज़िंदा रहेगी तहज़ीब ज़रा सोचिये….. पाठशाला से ज़्यादा तो मधुशाला है शहर में..
जिंदगी में बेशक
जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ !! मगर, किसी के भरोसे का फ़ायदा नहीं !!
पत्थर पे लदे है
बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में । उसी दहलीज पर एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है।
मां की परछाईय़ाँ होती हैं
बेटियां मां की परछाईय़ाँ होती हैं…. और पापा का गरूर |
जब घर जाता हूँ
खाली हाथ लेके जब घर जाता हूँ मैं मुस्कुरा देते हैं बच्चे और फिर से मर जाता हूँ मैं |