कठिन है तय करना

कठिन है तय करना उम्र का सफ़र तन्हा, लौट कर न देखूँगा चल पड़ा अगर तन्हा…

बेचैनी खरीदते हैं

बेचैनी खरीदते हैं,बेचकर सुकून, है इस तरह का आजकल जीने का जुनून।

तमाम उम्र तेरा

तमाम उम्र तेरा इंतिज़ार कर लेंगे मगर ये रंज रहेगा कि ज़िंदगी कम है|

लाख हुस्न-ए-यकीं

लाख हुस्न-ए-यकीं से बढकर है।। इन निगाहों की बदगुमानी भी।।

दिल को शोलों से

दिल को शोलों से करती है सैराब।। ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी।।

आया न एक बार भी

आया न एक बार भी अयादत को वह मसीह, सौ बार मैं फरेब से बीमार हो चुका।

उस एक शब के

उस एक शब के सहारे कट रही है हयात, वो एक शब जो तेरी महफिल में गुजार आये।

मिले थे एक अजनबी बनकर….

मिले थे एक अजनबी बनकर…. आज मेरे दिल की जरूरत हो तुम|

आज शाम महफिल सजी थी

आज शाम महफिल सजी थी बददुआ देने की…. मेरी बारी आयी तो मैने भी कह दिया… “उसे भी इश्क हो” “उसे भी इश्क हो”

सवाल ज़हर का

सवाल ज़हर का नहीं था वो तो हम पी गए तकलीफ लोगो को बहुत हुई की फिर भी हम कैसे जी गए|

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