काश तुम कभी

काश तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो, डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ…

मुकद्दर की लिखावट

मुकद्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा हो.. देर से किसमत खुलने वालो का दुगना फायदा हो..

आजाद कर दो

आजाद कर दो उन्हे जो रिश्तो को मजाक समझते है आजाद कर दो उन्हे जिनकी फितरत धोखा और फरेब है|

कभी तू नाराज़​

कभी तू नाराज़​ ​कभी मैं नाराज़,​ उफ़ ये मोहब्बत. उफ़ ये अंदाज़|

कतरा कतरा मेरे

कतरा कतरा मेरे हलक को तर करती है… मेरी रग रग में तेरी मुहब्बत सफर करती है…

न जाने किस हुनर को

न जाने किस हुनर को शायरी कहते होगेँ लोग…! हम तो वो लिख़ रहे हैँ, जो किसी से कह नहीं पाते…

दर्द है दिल में

दर्द है दिल में पर इस का एहसास नही होता,रोता है दिल जब वो पास नहीं होते,बर्बाद हो गए हम उन के प्यार में, और वो कहते है इस तरह प्यार नही होता।

मेरी गली से गुजरा

मेरी गली से गुजरा, घर तक नहीं आया, अच्छा वक्त भी करीबी रिश्तेदार निकला..!!

जैसे कोई तितली

जैसे कोई तितली हो मकड़ी के जाले में, कुछ ऐसे ही ज़िन्दगी फड़ फड़ा रही है मुझ में….!!

तरस जाओगे दीदार को

तरस जाओगे दीदार को भी जब लौट कर हम नही आए |

Exit mobile version