रात भर भटका है मन मोहब्बत के पुराने पते पे । चाँद कब सूरज में बदल गया पता नहीं चला ।।
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हर दफा बीच में
हर दफा बीच में आ जाता है… ये मज़हब कुछ रास्ते का पत्थर सा लगता है।
सिर्फ अपना ही
मोहब्बत तो सिर्फ शब्द है.. इसका अहसास तुम हो.. शब्द तो सिर्फ नुमाइश है.. जज्ब़ात तो मेरे तुम हो..
काश आंसुओ के
काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती … तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते…
अल्फ़ाज़ चुराने की
अल्फ़ाज़ चुराने की जरूरत ही न पड़ी कभी.., तेरे बेहिसाब ख्यालों ने, बेतहाशा लफ्ज़ दिये..,
वो अच्छे हैं
वो अच्छे हैं तो बेहत्तर, बुरे हैं तो भी कुबूल। मिजाज़-ए-इश्क में, ऐब-ए-हुनर नहीं देखे जाते|
तुम अगर चाहो तो
तुम अगर चाहो तो पूछ लिया करो खैरियत हमारी.. कुछ हक़ दिए नही जाते ले लिए जाते है …
किसी का बांह
किसी का बांह में होना भी कोई सुख नहीं देता.., किसी को याद करके ही खुशी महसूस होती है.!
कोई हिमाकत न करे
कोई हिमाकत न करे, जिन्दगी उधार देने की… हम हौसला रखते है, मौत को नकद में चुकाने का।
अब इत्र भी
अब इत्र भी मलो तो तकल्लुफ़ की बू कहाँ वो दिन हवा हुए जो पसीना गुलाब था|