अपनी मौत भी क्या

अपनी मौत भी क्या मौत होगी, यू ही मर जायेंगे एक दिन तुम पर मरते-मरते !

Tumhe Koi Shikayat

Tumhe Koi Shikayat To Na Hogi Muje Tumse Mohabbat Ho Gayi Hai

अकसर तेरी राहो से

अकसर तेरी राहो से गुजरने वालो को दीवाना बनते देख चुके हैं… पर बतादे तुम्हें की हम भी एसा हसीन गुन्हा लाखो बार कर चुके हैं…

नफरत ही करनी है

मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना, जरा से भी चुके तो महोब्बत हो जायेगी|

रस्म-ऐ-मोहब्बत

इक ख़्वाब हो के रह गई है रस्म-ऐ-मोहब्बत… इक वहम सा है अब.. मेरे साथ तुम भी थे….

हम तो वाकिफ थे

हम तो वाकिफ थे उनके अंदाज से पर वो बेवफा कब हुए पता ही नही चला

छोटी सी बात पे

छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था.. पर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्ही से सीखा..

कफन उठाओ ना मेरा

कफन उठाओ ना मेरा जमाना देख ना ले.. मै सो गया हूँ तेरी निशानिया लेकर….!!

कल अचानक देखा

कल अचानक देखा तरसी निग़ाहों को किताबे आज भी छाती से लग के सोना चाहती है

तुम्हे क्या पता

तुम्हे क्या पता, किस दर्द मे हूँ मैं.. जो लिया नही, उस कर्ज मे हूँ मैं..

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