घर टूट जाते है

मकान बन जाते है कुछ हफ्तों में, ये पैसा कुछ ऐसा है…और घर टूट जाते है चंद पलो में, ये पैसा ही कुछ ऐसा है..।।

वहाँ का भी सोचूँगा

फिरदोस-ए-जन्नत में लाख हूरों का तस्सवुर सही…. इक इंसान के इश्क़ से निकलु तो वहाँ का भी सोचूँगा ….

कोई पीछे से

याद ही नहीं रहता कि लोग छोड़ जाते हैं.आगे देख रहा था, कोई पीछे से चला गया.

मुझको मिलने आना

तेरा आधे मन से मुझको मिलने आना, खुदा कसम मुझे पूरा तोड़ देता है…

रास्ता एक यही निकलता है

आप मुझ से, मैं आप से गुज़रूँ….रास्ता एक यही निकलता है…..

बेवफाई और दगाबाज़ी

चलो तोड़ते हैं आज मोहब्बत के सारे के उसूल अपने, अब से बेवफाई और दगाबाज़ी दोनों हम करेंगे!

किस्से बहुत से

यूँ तो मशहूर हैं अधूरी मोहब्बत के, किस्से बहुत से…!! मुझे अपनी मोहब्बत पूरी करके, नई कहानी लिखनी

उन रिश्तों को भी

सफ़र-ए-ज़िन्दगी में इक तेरे साथ की ख़ातिर..!! उन रिश्तों को भी नज़रअंदाज़ किया जो हासिल थे..!!

मुझे सजा मिली

ज़िन्दगी मिली भी तो क्या मिली, बन के बेवफा मिली….. इतने तो मेरे गुनाह भी ना थे, जितनी मुझे सजा मिली..

जो हासिल थे

सफ़र-ए-ज़िन्दगी में इक तेरे साथ की ख़ातिर..!! उन रिश्तों को भी नज़रअंदाज़ किया जो हासिल थे..!! ‪

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