ज़िम्मेदारियों के शोर में

ज़िन्दगी जाने कब से गुनगुना रही है कुछ कानों में …. ज़िम्मेदारियों के शोर में, कुछ सुनाई नहीं देता..

दिल का आलम

सिर्फ चेहरे की उदासी से भर आये आंसू दिल का आलम तो अभी आपने देखा ही कहा है !!!!

कोई बात बने।

दरिया बन कर किसी को डुबोना बहुत आसान है, मगर “जरिया” बनकर किसी को बचायें तो कोई बात बने।

कदम रुक गये

किसी ने कहा था महोब्बत फूल जैसी है!! कदम रुक गये आज जब फूलों को बाजार में बिकते देखा!

कितना अजीब है

दिल भी कितना अजीब है यारो साला रहेता. मेरे सिने में और सोचता किसी और के लिए

बस तुझे चाहा था

हम तो नादान हैं क्या समझेंगे उसूल-ए-मोहब्बत !! बस तुझे चाहा था, तुझे चाहा है और तुझे ही चाहेंगे

रिश्तों की डोरी

रिश्तों की डोरी तब कमजोर होती है जब इंसान ग़लतफहमी में पैदा होने वाले सवालों का जवाब खुद ही बना लेता है !

बुरे वक़्त में

ऐ खुदा मुसीबत में डाल दे मुझे…. किसी ने बुरे वक़्त में आने का वादा किया है

हमारे करीब होंगे

वो वक़्त वो लम्हे कुछ अजीब होंगे! दुनिया में हम खुश नसीब होंगे! दूर से जब इतना याद करते है आपको! क्या होगा जब आप हमारे करीब होंगे?

थोड़ी सी यादें मेरी

रख लो दिल में संभाल कर, थोड़ी सी यादें मेरी…!! रह जाओगे जब तन्हा, बहुत काम आयेंगे हम….!!

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