क्या मालूम था

मिलता ही नही तुम्हारे जैसा कोई और इस शहर मै हमे.. क्या मालूम था कि तुम एक हो और वो भी किसी और के..

हँस के टाल दूँ

ज़माने के सवालों को मैं हँस के टाल दूँ लेकिन नमी आखों की कहती है मुझे तुम याद आते हो

बेहद खूबसूरत है

ऐ जिंदगी, तू सच में बेहद खूबसूरत है…फिर भी… तू अपनों के बिना अच्छी नहीं लगती…!!!

ज़माने के सवालों को

ज़माने के सवालों को मैं हँस के टाल दूँ लेकिन नमी आखों की कहती है मुझे तुम याद आते हो

सबके बस की बात

बडे़ पत्थर दिल होते हैं ये शायर भी, वरना अपनी ही आह पर वाह सुनना सबके बस की बात नही !!

अपने आप में पिरोया है

मैने इक माला की तरह तुम को अपने आप में पिरोया है, याद रखना, टूटे अगर हम, तो बिखर तुम भी जाओगे..

ठगता चला गया

दिल भी न जाने किस किस तरह ठगता चला गया कोई अच्छा लगा और बस लगता चला गया

छत-ओ-दीवार

तेरा होना ही क्या से क्या कर देता है बेजान छत-ओ-दीवार को घर कर देता है

मिट्टी के पुतलों पर

ये जो डूबी हैं मेरी आँखें, अश्कों के दरिया में…..!! ये मिट्टी के पुतलों पर, भरोसे की सजा है………!!

सीना‬ तान के

काश की कोई हमारा भी वफादार यार होता सीना‬ तान के चलते ‪बेवफाओ‬ की गलियों में|

Exit mobile version