जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम, जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम, छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर, जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम।
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हो सकता है
हो सकता है की मैं तेरी खुशियाँ बाँटने ना आ सकू, गम आये तो खबर कर देना वादा है की सारे ले जाऊँगा…
कैसे जिंदा रहेगी
कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब सोचिये ! , पाठशाला से ज्यादा तो मधुशाला हैं इस शहर मे….
नहीं ज़रूरत मुझे
नहीं ज़रूरत मुझे तुम्हारी अब, ख्यालात तुम्हारे काफ़ी है….. तुम क्या जानो इस मस्ती को, अहसास तुम्हारे काफ़ी है……
धीमी-धीमी नस चलें
धीमी-धीमी नस चलें, रुक-रुक करके श्वास। जीने की अब ना रही, थोड़ी सी भी आस।।
रह रह कर मुझको
रह रह कर मुझको रुलाती है वो , आसमां से मुझको बुलाती है वो।
इक तमन्ना के लिए
इक तमन्ना के लिए फिरती है सहरा सहरा……!! ज़िंदगी रोज़ कोई ख़्वाब नया लिखती है…!!
यूँ तो जिंदगी तेरे
यूँ तो जिंदगी तेरे सफर से शिकायतें बहुत थी… दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे तो कतारें बहुत थी…!!
देख कर उसकी आँखो में
देख कर उसकी आँखो में अपने नाम की मायूसी… दिल रोया तो नहीँ पर फ़िर कभी हँसा भी नहीँ…
दिल के जख्म
दिल के जख्म को चेहरे से…. जाहिर न होने दिया, यही जिन्दगी में…… मेरे जीने का अंदाज बन गया..