नहीं जानता क्या है रिश्ता तुझसे मेरा “मन्नतों के हर धागे में एक गाँठ तेरे नाम की बाँधता हूँ मैं….
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गुज़र जाते हैं ….
गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें . यूं ही मुसाफिरों की तरह यादें वहीं खडी रह जाती हैं रूके रास्तों की तरह….
मज़ा आता अगर
मज़ा आता अगर गुजरी हुई बातों का अफ्साना, कहीं से तुम बयां करते, कहीं से हम बयां करते।।
मय को मेरे सुरूर से
मय को मेरे सुरूर से हासिल सुरूर था, मैं था नशे में चूर नशा मुझ में चूर था…
इश्क़ की दुनिया में
इश्क़ की दुनिया में क्या क्या हम को सौग़ातें मिलीं, सूनी सुब्हें रोती शामें जागती रातें मिली…
दिल में अब कुछ भी नहीं
दिल में अब कुछ भी नहीं उन की मोहब्बत के सिवा, सब फ़साने है हक़ीक़त में हक़ीक़त के सिवा ।।
आसु निकला है
आसु निकला है कोई हाथ में पत्थर लेकर मुझ से कहता है,तेरा जब्त कर सर फोड़ूँगा
जो तेरा न हुआ….
दो घडी जिक्र जो तेरा न हुआ…. दो घडी हम पे कयामत गुज़री|
रोते-रोते थक कर
रोते-रोते थक कर जैसे कोई बच्चा सो जाता है…. सुनो, हाल हमारे दिल का अक्सर कुछ ऐसा ही हो जाता है|
दुश्मनों के साथ
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद है, देखना है , फेंकता है मुझ पर पहला तीर कौन……