अमल से ज़िंदगी

अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है|

जिंदगी क्या हैं

जिंदगी क्या हैं मत पूछो दोस्तों! सवर गई तो दुल्हन, बिखर गई तो तमाशा हैं !

रिश्ते होते है

रिश्ते होते है मोतियों की तरह … कोई गिर भी जाये तो झुक के उठा लेना चाहिए ।

तलब ये है कि

तलब ये है कि मैं सर रखूँ तेरे सीने पे और तमन्ना ये कि मेरा नाम पुकारे धड़कनें तेरी|

तेरे ही ख्याल पर

तेरे ही ख्याल पर खत्म हो गया ये साल.. तेरी ही ख्वाहिश से शुरू, हुआ नया साल….

हादसोँ के गवाह हम भी हैँ

हादसोँ के गवाह हम भी हैँ, अपने दिल से तबाह हम भी हैँ, जुर्म के बिना सजा ए मौत मिली, ऐसे ही एक बेगुनाह हम भी हैँ..

कभी तो अपने लहजे से

कभी तो अपने लहजे से ये साबित कर दो…. के मुहोब्बत तुम भी हम से लाजबाब करती हो….

गाँव से निकला था

गाँव से निकला था तो माँ ने पर्स में मुस्कानें रखी थी, इस शहर ने जेब काट ली

हम वहाँ हैं

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी कुछ हमारी ख़बर नहीं आती

कुछ तुम कोरे कोरे से

कुछ तुम कोरे कोरे से,कुछ हम सादे सादे से, एक आसमां पर जैसे, दो चाँद आधे आधे से.

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