फिर कोई दुख मिलेगा तेयार रह.. ऐ..दिल… कुछ लोग पेश आ रहे हैं बहुत प्यार से !!!!
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मैं पेड़ हूं
मैं पेड़ हूं हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरी शाखो से,, फिर भी बारिश से बदलते नहीं रिश्ते मेरे
मेरे शहर में खुदाओं
मेरे शहर में खुदाओं, की कमी नही है.. दिक्कत तो मुझे आज भी, इंसान ढूंढ़ने में आती है..!!
कागज से मात खाई है
सफेद और काले ने क्या बिसात बिछायी है,,,?? कागज ने कागज से मात खाई है
ख़ुशीयो का दौर भी
ख़ुशीयो का दौर भी आ जाएगा एक दिन, ग़म भी तो मिल गये थे तमन्ना किये बगैर ……
फूल बन जाऊंगा..
फूल बन जाऊंगा.. शर्त ये है मगर.. अपनी जुल्फों में मुझको सजा लीजिए
सितारे भी जाग रहे हो
सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो… ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ उसके सिवा कोई ना हो |
मत पूछ के किस तरह
मत पूछ के किस तरह से चल रही है जिन्दगी तेरे बिना ! उस दौर से गुजर रहे है……जो गुजरता ही नही !!
कुछ ज्यादा ही
कुछ ज्यादा ही गिरती है ओस इन दिनों, ये नवम्बर भी तुम्हें बहुत याद करता है !!
आज तक उस थकान से
आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन एक सफ़र किया था मैंने कुछ ख़्वाहिशों के साथ|