इम्तेहान ले रही है

ना जाने कैसे इम्तेहान ले रही है जिँदगी आजकल मुक्दर, मोहब्बत और दोस्त तीनो नाराज रहते है..!!

जिन्हें खुद के

जिन्हें खुद के दम पर भरोसा न हो उन्हें दुश्मनों की जरूरत नहीँ है। वो पत्ते जिन्हें डालियों पर ही शक हो उन्हें आँधियो की जरूरत नहीँ हैं।

वक्त ही नहीं

वक्त ही नहीं मिलता दु:खी होने का.. क्योंकि उम्मीद ही नहीं करता मैं ज्यादा खुशी की..

भीड़ सी लगती है …..

तन्हाई इस क़दर रास आ गयी है अब मुझको साया भी अपना साथ हो तो भीड़ सी लगती है …..

इतने प्यार से

इतने प्यार से चाहा जाए तो पत्थर भी अपने हो जाते हैँ.. न जाने ये मिट्टी के इंसान इतने मगरूर क्यो होते हैँ.!

रिश्ते बदलने आते है

हम तो जो लिख देते है, तो बस लिख देते है…. हमेँ तो ना रिश्ते बदलने आते है ना अल्फाज!!

अगर इश्क़ हुआ

अगर इश्क़ हुआ अगले जनम भी तो तुझसे ही होगा..! मेरे इस नादान दिल को तुझ पर भरोसा ही इतना है…

मैं तेरा कोई नहीं

मैं तेरा कोई नहीं मगर इतना तो बता ज़िक्र से मेरे, तेरे दिल में आता क्या है?

यूँ तेरा मुस्कुरा कर

यूँ तेरा मुस्कुरा कर मुझे देखना . मानो जैसे सब कुछ कुबूल है तुझे….

नज़र अंदाज़ उन्हे करू

नज़र अंदाज़ उन्हे करू जो नज़र के सामने बैठे हैं.. उनका क्या करू जो दिल मे छुपे बैठे हैं…..!!

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