मुझे दिल में बसाने की कोशिश न कर… मैं ख़याल हूँ मुझे यूँ ही गुज़र जाने दे…
Tag: व्यंग्य
तब्दिलियाँ और समझौते
कुछ तब्दिलियाँ और समझौते कर लिए हैं हालात – ए ज़िदंगी से हमने अब आकाश में मौन तलाशते हैं और पीछे मुड़ कर देखने की आदत छोड़ दी है !!
ना जाने कितनी
ना जाने कितनी अनकही बातें कितनी हसरतें साथ ले जाएगें, लोग झूठ कहते हैं कि खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाएगें!!
अगर है गहराई
अगर है गहराई …तो चल डुबा दे मुझ को, समंदर नाकाम रहा …अब तेरी आँखो की बारी है!!!
नाराज़ ना होना
नाराज़ ना होना ए ज़िन्दगी मुझसे…. उसके ख्यालो में डूबकर मैं तेरा ख्याल नही रख पा रहा हूँ….
हम ये भी भूल गए
घोंसला बनाने में यूँ मशग़ूल हो गए, उड़ने को पंख हैं हम ये भी भूल गए…!!
मुफलिस सियासत की
हंसकर सह जाते हैं हालात के दर्दों-सितम, हम जैसे मुफलिस सियासत की महेर बानी पर नहीं टिक ते..
समन्दर से सीखी है
मैने समन्दर से सीखी है पानी की पर्दादारी, उपर से हँसते रहना और गहराईयों मे रो लेना।
प्यास बेहद है
मेरा प्यास बेहद है साक़ी अगर शराब नहीं है तो जहर ही दे दे |
मौत की अफवाह
आता है कौन कौन मेरा गम को बाटने, मोहसिन तू मेरी मौत की अफवाह उडा के देख …..!!