तकदीरे बदल जाती है

तकदीरे बदल जाती है, जब जिंदगी जीने का कोई मकसद हो वर्ना जिंदगी कट जाती हे, “तक़दीर” को इल्जाम देते देते !!!

न किसी किताब से

प्रेम न तो किसी शब्द से और न किसी किताब से परिभाषित किया जा सकता है। ये तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है।

वफा की बात

न वफा का जिकर होगा न वफा की बात होगी अब मोहब्बत जिससे भी होगी Exam के बाद होगी…

खुश किश्मत हो

तुम खुश किश्मत हो जो हम तुमको चाहते है वरना, हम तो वो है जिनके ख्वाबों मे भी लोग इजाजत लेकर आते है..!!

तलब ऐसी की बसा लूँ

तलब ऐसी की बसा लूँ साँसों में तुम्हें.. और किस्मत ऐसी की… दीदार के भी मोहताज है….!!

जरुरत होती है

कभी कभी ऐसा भी होता है,की सुकून के लिये, दवा की नहीं किसी के साथ की जरुरत होती है……!!

कोई अच्छी सी सज़ा दो

कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको, चलो ऐसा करो भूला दो मुझको, तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये, दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको

याद आयेगी हमारी तो

याद आयेगी हमारी तो बीते कल की किताब पलट लेना यूँ ही किसी पन्ने पर मुस्कुराते हुए हम मिल जायेंगे।

हमारी आंखों को

काश कोई हम पर प्यार जताता, हमारी आंखों को अपने होंठों से छुपाता, हम जब पूछते कौन हो तुम, मुस्कुरा कर वो अपने आप को हमारी जान बताता

पलट कर मत देखना

अब अगर तुम जाने ही लगे हो तो पलट कर मत देखना, क्योकि मौत की सजा लिखने के बाद, कलम तोड़ दी जाती है

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