समझा दो अपनी यादों को

समझा दो अपनी यादों को तुम ज़रा… दिन-रात तंग करती हैं कर्ज़दार की तरह….

मैं अपने दिल को

मैं अपने दिल को ये बात कैसे समझाऊँ कि किसी को चाहने से कोई अपना नहीं होता..

ऐ ज़िंदगी अब तू ही

ऐ ज़िंदगी अब तू ही रुठ जा मुझसे, ये रुठे हुए लोग मुझसे मनाए नहीं जाते…|

मत सोना किसी के

मत सोना किसी के कंधे पे सर रख कर जब वो बिछड़ते है तो तकिये पे भी नींद नहीं आती.

बेचैन निकलने को है

बेचैन निकलने को है, हसरत का जनाज़ा । है आखिरी मौक़ा, तुझे आना है तो आजा ।।

काश के वो लौट आये

काश के वो लौट आये मुझसे ये कहने , की तुम कोन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले ??

आज मैंने दिल के

आज मैंने दिल के जज्बात भेजे, तुमने फिर भी अलफ़ाज़ ही समझे !!

मंजूर है तेरे

मंजूर है तेरे हर फैसले, दूर जाने की वजह.. कि मजबूरी होगी कोई तेरी, आँसू पोंछ ले पगली, मैने कब कहा तेरी बात पर यकीऩ नहीं…

लोग रहते हैं

लोग रहते हैं मकानों को महल बना कर, और मेरा भगवान मिट्टी की मूरत में रहता है…

आज फिर उतनी ही

आज फिर उतनी ही मोहब्बत से बुलाओ ना, कह दो मिलने का मन कर रहा है आओ ना।।

Exit mobile version