देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा कुछ..!!
Tag: व्यंग्य शायरी
सच्ची क्यों ना हो
मोहब्बत कितनी भी सच्ची क्यों ना हो, एक ना एक दिन तो आंसू और दर्द ज़रूर देती है..!!
मनाना भुल गये है
नाराज है वो नाराज ही रहने दो, अब हम भी,मनाना भुल गये है..!!
कमजोरियां मत खोज
कमजोरियां मत खोज मुझमें मेरे दोस्त, एक तू भी शामिल है मेरी कमजोरियों मे
महकीं हुई रात
आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ आज फिर महकीं हुई रात में जलना होगा ।
अच्छा बनने की हसरत
अच्छा बनने की हसरत सी जागी है मुझमें मेरे मालिक, जबसे सुना है आप अच्छे लोगो को जल्दी बुला लेते हो.
दूर ना कर मुझे
अपनी नज़दीकियों से दूर ना कर मुझे…,। मेरे पास जीने की वजहें बहुत कम है…।
कितने अजब रंग
कितने अजब रंग समेटे है ये बेमौसम बारिश ने… अमीर पकौड़े खाने की सोच रहा है तो किसान जहर.
रात बाक़ी थी
रात बाक़ी थी जब वो बिछड़े थे कट गई उम्र रात बाक़ी है|
दिल का तो सिर्फ नाम
दिल का तो सिर्फ नाम लिया जाता हैं जनाब वरना पैसा ना हो तो मोहब्बत मत करना बेवजह ज़लील हो जाओगे …