दर्द से इतना हुआ

खाकसार’ नजात मिल न सकी शामे दर्द से इतना हुआ कि रस्मे दुआ आ गयी मुझे

तेरे इख्तियार में

तेरे इख्तियार में क्या नहीं, मुझे इस तरह से नवाज दे यूं दुआयें मेरी कूबूल हों, मेरे दिल में कोई दुआ ना हो

उस बूढ़े शजर से

इस बार जो इन्धन के लिये कट के गिरा है चिड़ियों को बड़ा प्यार था उस बूढ़े शजर से

सुकुन मिलता है

सुकुन मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर चीख भी लेता हूं और आवाज भी नही होती..

भूल नही पाओगे मुझे..

उस दिन ही दिल से उतरगयी थी वो,जिस दिन घमंड से बोली,”भूल नही पाओगे मुझे”..!!

सफ़र मैंने किया

क्या बताऊं कैसे ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया, उम्र भर किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया ।

सलीका ही नहीं

सलीका ही नहीं शायद उसे महसूस करने का जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है

बुरे दिनों में

बुरे दिनों में कर नहीं कभी किसी से आस परछाई भी साथ दे, जब तक रहे प्रकाश

इश्क़ नाज़ुक मिजाज़ है

इश्क़ नाज़ुक मिजाज़ है बे-हद, अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता. !!

मोहब्बत केअफसानें

अल्फाज़ों में क्या बयाँ करे अपनी मोहब्बत के अफसानें हमारे दिल में तो वो ही वो है, उनके दिल की खुदा जाने..”

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