कारवां – ए – जिदंगी

कारवां – ए – जिदंगी हसरतों के सिवा कुछ भी नही , ये किया नही , वो हुआ नही , ये मिला नही, वो रहा नही

जिंदगी का सफर कुछ यू तय हुआ

जिंदगी का सफर कुछ यू तय हुआ… की समझ नहीं आता की जिंदगी थी या मुट्ठी में भरी रेत…

ख्वाब जो सलीके से

ख्वाब जो सलीके से तह कर रखे थे, मैने दिल की आलमारी में उनमे सिलवटें पड़ने लगी हैं, शायद इसलिये क्यूंकि इन पर पापा के डाँट की इस्त्री नहीं चलती अब…!!!

अंदर ही अंदर टूट जाते है घर

अंदर ही अंदर टूट जाते है घर, मकान खड़े के खड़े रह जाते है बेशर्मों की तरह…!!!

मुठ्ठी बंद किये बैठा हूँ

मुठ्ठी बंद किये बैठा हूँ, कोई देख न ले चाँद पकड़ने घर से निकलूँ , जुगनू हाथ लगे

सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम

सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम, जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग !!

रोने से किसी को पाया नहीं जाता

रोने से किसी को पाया नहीं जाता, खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता, वक्त सबको मिलता है ज़िंदगी बदलने के लिए, पर ज़िंदगी नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए !!

जिन्दा रहो जब तक

जिन्दा रहो जब तक ,लोग कमियां ही निकालते हैं , मरने के बाद जाने कहाँ से इतनी अच्छाइयां ढूंढ लाते है

आइना होती है ये जिंदगी मेरे दोस्त

आइना होती है ये जिंदगी मेरे दोस्त… तू मुस्कुरा, वो भी मुस्कुरा देगी…!

Khuda Mehrban Hai

Lagta hai mera khuda mehrban hai mujhper … meri duniya me teri maujudgi yunhi to nahi hai ..

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