आशियाने बनाए भी

आशियाने बनाए भी तो कहाँ बनाए जनाब…. ज़मीने महँगी होती जा रही है और दिल में जगह लोग देते नहीं है|

काश दर्द के भी पैर होते

काश दर्द के भी पैर होते, थक कर रुक तो जाते कहीं

थकता जा रहा हूँ

रोज़ रोज़ थकता जा रहा हूँ तेरा इंतज़ार करते करते, रोज़ थोड़ा थोड़ा टूटता जा रहा हूँ तुजसे एक तरफ़ा प्यार करते करते|

कभी तो खर्च कर

कभी तो खर्च कर दिया करो.. खुद को मुझ पर… तसल्ली रहें..मामूली नही है हम|

शमा बे दाग है

शमा बे दाग है जब तक उजाला न हुआ हुस्न पे दाग है गर चाहने वाला न हुआ|

नसीहत सभी देते हैं

नसीहत सभी देते हैं गम को भुलाने की, बताता वजह कोई नहीं मुस्कराने की…

खामोशियाँ उदासियों से

खामोशियाँ उदासियों से नहीं, बल्कि यादों की वजह से हुआ करती है …

वक्त सिखा देता है

वक्त सिखा देता है इंसान को फलसफा जिंदगी का फिर तो नसीब क्या लकीर क्या और तकदीर क्या ….

मिलना तो खैर उसको

मिलना तो खैर उसको नसीबों की बात है, देखे हुये भी उसको…..ज़माना गुज़र गया.!!

बहुत अजीब है

बहुत अजीब है तेरे बाद की ये बरसातें भी…. मैं अक्सर बंद कमरे में भी भीग जाता हूँ….!!

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