सुनता हूं बड़े ग़ौर से अफ़सान-ए-हस्ती
कुछ ख़्वाब हैं,
कुछ अस्ल है,
कुछ तर्ज-ए-अदा है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सुनता हूं बड़े ग़ौर से अफ़सान-ए-हस्ती
कुछ ख़्वाब हैं,
कुछ अस्ल है,
कुछ तर्ज-ए-अदा है