है ये बस्ती तिरे भीगे हुए कपड़ों की तरह तेरे इस्नान-सा लगता है ये बरसात का रंग
Category: Zindagi ShayriShayari
हाथ मिलते ही
हाथ मिलते ही उतर आया मेरे हाथों में कितना कच्चा है मिरे दोस्त तिरे हाथ का रंग |
तकलीफों ने ऐसा
तकलीफों ने ऐसा तराशा है मुझको… हर गम के बाद ज्यादा चमकता हूँ..
वक्त इंसान पे
वक्त इंसान पे ऐसा भी कभी आता है . राह में छोड़ के साया भी चला जाता हैवक्त इंसान पे ऐसा भी कभी आता है . राह में छोड़ के साया भी चला जाता है|
है कोई रंग जो हो
है कोई रंग जो हो इश्क़े-ख़ुदा से बेहतर अपने आपे में चढ़ा लो उसी इक ज़ात का रंग |
भुख लोरी गा गा कर
भुख लोरी गा गा कर, . जमीर को सुलाये रखती हैं…….