तुम दुआ के वक़्त जरा मुझे भी बुला लेना… दोनों मिलकर एक दूसरे को मांग लेंगे…
Category: Zindagi Shayri
मतलब था ना वास्ता
मेरी जिन्दगी में झाँक कर तुम यूँ चले गये ना मतलब था ना वास्ता,कोई बात बर न थी….
मत सोच इतना
मत सोच इतना जिन्दगी के बारे में , जिसने जिन्दगी दी है उसने भी तो कुछ सोचा होगा…!!
मिन्नते फकिरो से
में करता हुं मिन्नते फकिरो से अकसर…….. …. जो ऐक पैसे में लाखो की दुआ दे जाते है…!!
वो भी आधी रात
वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी …… फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग …. ?
अधूरी न लिखा कर
ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है तो मेरा लहू लेले, यू कहानिया अधूरी न लिखा कर
तुझे भी इजाजत है
सब छोड़े जा रहे है आजकल हमें,,,,, ” ऐ जिन्दगी ” तुझे भी इजाजत है,,,, जा ऐश कर…ll
यह परिणाम है
कदम निरंतर बढते जिनके , श्रम जिनका अविराम है , विजय सुनिश्चित होती उनकी , घोषित यह परिणाम है !
आज कल हर इंसान
“समझदार” एक मै हूँ बाकि सब “नादान”.. बस इसी भ्रम मे घूम रहा आज कल हर “इंसान”.!!
तरीके बदल जाते है
नसीहतें और दुआए बदलती नहीं है.. देने वाले लोग और तरीके बदल जाते है..