अभी मिलन की राह में ए दिल तन्हाइयो जरा दामन छोड़ दो….!! रुत है सनम से, आँखे चार करने की….!!
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वाक़िफ़ कहाँ ज़माना
वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से, वो और थे जो हार गए आसमान से…
जब अपनी कसमें
तुझको भी जब अपनी कसमें अपने वादे याद नहीं, ऐ सनम……. हम भी अपने ख्वाब तेरी आंखों में रख कर भूल गए…
तड़पती रहती है
तड़पती रहती है नींद आँखों की दहलीज़ पे तेरी यादों से वावस्तगी मुझें सोने नहीं देती..!
ज़रूरतों ने उनकी
ज़रूरतों ने उनकी, कोई और ठिकाना ढूंढ लिया शायद.. एक अरसा हो गया, मुझे हिचकी नहीं आई…
उनको मेरी आँखें
उनको मेरी आँखें पसंद है, और मुझे खुद कि आँखों में वो
परिन्दों की फिदरत से
परिन्दों की फिदरत से आये थे वो मेरे दिल में , जरा पंख निकल आये तो आशियाना छोड़ दिया ..
मेरे ग़ज़लों में हमेशा
मेरे ग़ज़लों में हमेशा, ज़िक्र बस तुम्हारा रहता है… ये शेर पढ़के देखो कभी, तुम्हे आईने जैसे नज़र आएंगे
जिसे शिद्दत से
जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है, बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!
छलकता है कुछ
छलकता है कुछ इन आँखों से रोज़.. कुछ प्यार के कतऱे होते है ..कुछ दर्द़ के लम्हें|