खुबसूरत क्या कह दिया उनको, के वो हमको छोड़कर शीशे के हो गए तराशा नहीं था तो पत्थर थे, तराश दिया तो खुदा हो गए|
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मसरुफ रहने का अंदाज
मसरुफ रहने का अंदाज आपको तन्हा ना कर दे, रिश्ते फुरसत के नही, तवज्जो के मोहताज़ होते हैं ….
दिल को इसी फ़रेब में
दिल को इसी फ़रेब में रखा है उम्रभर इस इम्तिहां के बाद कोई इम्तिहां नहीं !!!
सोचा था तुझपे
सोचा था तुझपे प्यार लुटाकर तेरे दिल में घर बनायेंगे… हमे क्या पता था दिल देकर भी हम बेघर रह जाएँगे.…
बुरा हो वक्त
बुरा हो वक्त तो सब आजमाने लगते हैं, बड़ो को छोटे भी आंखे दखाने लगते हैं, अमीर के घर भूल कर भी मत जाना, हर एक चीज की कीमत बताने लगते है।
आओ मोहब्बत को
आओ मोहब्बत को महंगाई का नाम दें… फिर कभी कम न हो, ये दरमियां हमारे….
मुझे मालूम है
मुझे मालूम है उड़ती पतंगों की रवायत.. गले मिलकर गला काटूँ मैं वो मांझा नहीं..
घर की इस बार
घर की इस बार मुकम्मल तौर से मैं तलाशी लूँगा”जनाब” मेरे ग़म छुपा कर आखिर मेरी माँ रखती कहाँ है
फुर्सत निकालकर आओ
फुर्सत निकालकर आओ कभी मेरी महफ़िल में…, लौटते वक्त दिल नहीं पाओगे अपने सीने में…
अभी इस तरफ़ न निगाह
अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ.. मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँ…