घर की इस बार मुकम्मल तौर से मैं तलाशी लूँगा”जनाब”
मेरे ग़म छुपा कर आखिर मेरी माँ रखती कहाँ है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
घर की इस बार मुकम्मल तौर से मैं तलाशी लूँगा”जनाब”
मेरे ग़म छुपा कर आखिर मेरी माँ रखती कहाँ है