जख्म छुपाना भी एक हुनर है, वरना, यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है
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तकलीफ़ लोगों
ज़हर का सवाल नहीं था वो तो में पी गया तकलीफ़ लोगों को ये थी की में जी गया ।
मरने के लिए
जहर … मरने के लिए थोडा सा.. ! लेकिन जिंदा रहने के लिए ……. बहुत सारा पीना पड़ता है
रात रोने से
रात रोने से कब घटी साहब बर्फ़ धागे से कब कटी साहब सिर्फ़ शायर वही हुए जिनकी ज़िंदगी से नहीं पटी साहब..
एहतियातन मेरी हिम्मत
इसे सामान-ए-सफ़र मान, ये जुगनू रख ले, राह में तीरगी होगी, मेरे आंसू रख ले, तू जो चाहे तो तेरा झूठ भी बिक सकता है, शर्त इतनी है के सोने का तराजू रख ले, वो कोई जिस्म नही है जिसे छु भी सके, अगर नाम ही रखना है तो खुशबु रख ले, तुझको अनदेखी बुलंदी… Continue reading एहतियातन मेरी हिम्मत
हिसाब रहता है
फिर कहाँ का हिसाब रहता है ,., इश्क़ जब बेहिसाब हो जाये ,.,!!
तूने पलट के देख
यही बहुत है तूने पलट के देख लिया, ये लुत्फ़ भी मेरे अरमान से ज्यादा है.
वजह ना पूछो तो
अगर तुम वजह ना पूछो तो एक बात कहूँ!!! बिना याद किये तुम्हें अब रहा नहीं जाता है
कब इंसाफ़ करोगे
मुंसिफ़ हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा क्यूँ नहीं देते
हंसना भी आसान
रोने में इक ख़तरा है, तालाब नदी हो जाते हैं हंसना भी आसान नहीं है, लब ज़ख़्मी हो जाते हैं