कसा हुआ हैं तीर हुस्न का ज़रा संभलके रहियेगा, नज़र नज़र को मारेगी तो क़ातिल हमें ना कहियेगा…….
Category: Urdu Shayri
दिन काटना है
किसी के पास कुल्हाड़ी है क्या ? दिन काटना है ….
चढ़ती रहें चादरें
इस बार की सर्दियों में ऐसा न होने पाए … चढ़ती रहें चादरें मज़ार पर और बाहर बैठा फ़क़ीर ठंड से मर जाए …!!
जिंदगी के रूप में
जिंदगी के रूप में दो घूंट मिले, इक तेरे इश्क का पी चुके हैं..दुसरा तेरी जुदाई का पी रहे हैं !!!!
कभी मोहब्बत के
वो पतथर भी मारे तो उठा के झोलियाँ भर लूँ कभी मोहब्बत के तोहफ़ो को लौटाया नही करते ।
कहानियाँ लिखने लगा
कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब.!! शायरियोँ मेँ अब तुम समाती नहीँ.!!
अपनी खुशियों की
अपनी खुशियों की चाबी किसी को न देना… लोग अक्सर दूसरों का सामान खो देते हैं…
मैं खुद भी
मैं खुद भी अपने लिए अजनबी हूं … मुझे गैर कहने वाले तेरी बात मे दम है…
झूठ बोलते है वो
झूठ बोलते है वो… जो कहते हैं, हम सब मिट्टी से बने हैं मैं कईं अपनों से वाक़िफ़ हूँ जो पत्थर के बने हैं
आज मैं भेज
आज मैं भेज रहा हूँ एक सबसे ज्यादा गहराई वाला शेर भेज रहा हूँ अगर पसन्द आये तो शाबाशी अवश्य दीजियेगा ऐ ख़ुदा हिन्दोस्ताँ को बख़्श ऐसे आदमी जिनके सर में मग़ज़ हो और मग़ज़ में ताबिन्दगी