भरे बाज़ार से अक्सर मैं खाली हाथ लौट आता हूँ.. पहले पैसे नहीं हुआ करते थे, अब ख्वाहिशें नहीं रहीं….
Category: Urdu Shayri
मोहब्बत से भरी
मोहब्बत से भरी कोई ग़ज़ल उसे पसंद नहीं , बेवफाई के हर शेर पे वो दाद दिया करते है…
फिक्र तब होती है
जुबाँ न भी बोले तो, मुश्किल नहीं… फिक्र तब होती है जब… खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।।
एक हुनर है
जख्म छुपाना भी एक हुनर है, वरना, यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है
कंकर फ़ेंको जनाब
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको जनाब, झील सी गहरी ख़ामोशी है यहां.!!
सवाल नहीं था
ज़हर का सवाल नहीं था वो तो में पी गया तकलीफ़ लोगों को ये थी की में जी गया ।
शायर वही हुए
रात रोने से कब घटी साहब बर्फ़ धागे से कब कटी साहब सिर्फ़ शायर वही हुए जिनकी ज़िंदगी से नहीं पटी साहब..
इन्तेहा कर दो
तुम बेशक अपने ज़ुल्म की इन्तेहा कर दो नां जाने फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले.…”
कर्ज़े चुका दूं
सबके कर्ज़े चुका दूं मरने से पहले, ऐसी मेरी नियतं हैं, मौंत से पहले तूं भी बता दे ज़िन्दगी, तेरी क्या किमत हैं.”.
मिल जाता है
सुना है सब कुछ मिल जाता है खुदा कि दुआ से , मिलते हो अब खुद या मांग लू तुम्हें खुदा से ?