दिल चाहता है

दिल चाहता है धोख़े से ज़हर दे दूँ , आज सब ख़्वाहिशों की दावत कर के”..!!

मेरी दुल्हन बनकर

जिस दिन तूम आओगी मेरे घर मेरी दुल्हन बनकर उस दिन को मै मनाऊ गा नए साल की तरह

तुम्हारे चेहरे को

कैद कर के तुम्हारे चेहरे को, मेरी आँखों ने खुदकुशी कर ली

रोज़ वो ख़्वाबों में

रोज़ वो ख़्वाबों में आते हैं गले मिलने को, मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है किस्मत मेरी…

हम दर्द सहते हैं

शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं । वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते ॥

हकिकत से बहोत

हकिकत” से बहोत दूर है, “ख्वाहिश” मेरी..!!! फिर भी एक “ख्वाहिश” है कि एक ख्वाब “हकिकत” हो जाये..!

ज़हन में रखना

बदल जाओ भले तुम पर ये ज़हन में रखना..कही पछतावा ना बन जाए हम से बेरुखी इतनी.

इजाज़त है तुम्हे

भूल सकते हो तो भूल जाओ इजाज़त है तुम्हे…. न भूल पाओ तो लौट आना एक और भूल की इजाज़त है तुम्हें…..

मर्जी वफा कर लो

कुछ नही मिलता जितनी मर्जी वफा कर लो किसी से… मेरे दोस्त… जब वक़्त वफ़ा ना करे तो…. वफादार भी बेवफा हो जाता है.

कार्य करने के लिए

परिणामो की चिंता करना हमारा कार्यक्षेत्र नहीं हे.. . . हम तो सिर्फ कार्य करने के लिए उत्तरदायी हे… ……

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