मुझे भी आता था

हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है, . उन्हें कैसे समझाऊ एक ख्वाब अधुरा है …. वर्ना जीना मुझे भी आता था….. …..

धड़कन तो इसे

अगर रुक जाये धड़कन तो इसे मौत न समझना…. अक्सर होता है ऐसा तुझे याद करते-करते….

प्रवचन देता है

आदमी सुनता है मन भर’. सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर; और खुद ग्रहण नही करता कणभर।

तुम खुद ही

मेरी नजर से कभी खुद को देखना, . तुम खुद ही खुद पे फिदा हो जाओगे…!!

धड़क रहा होगा

मेरा नाम लिखकर छूकर देखना कभी… कोई दिल वहाँ भी धड़क रहा होगा

सहा ना जाये

सहा ना जाये के उसका लहजा सख्त ऐसा था, ये और बात थी, वो लब नाजुक फूलों जैसा था.

चोट लगती है

निगाहों से भी चोट लगती है… जनाब…. जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है…!!

मेरी जिंदगी में

वो फिर से लौट आये थे मेरी जिंदगी में’ अपने मतलब के लिये और हम सोचते रहे की हमारी दुआ में दम था.. .

जिंदगी के पन्नों को

बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, ताकि धुल जाए स्याही, ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी-कभी।

माना की तेरी

माना की तेरी नजर मे मै कुछ भी नही, मगर मेरी कदर तू उनसे पूछ जिन्हे पलटकर नही देखा मैने सिर्फ तेरे लिए…!!!

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