फिर से सूरज लहूलुहान समंदर में गिर पड़ा, दिन का गुरूर टूट गया और फिर से शाम हो गई .
Category: Shayri-E-Ishq
जब मैं डूबा
जब मैं डूबा तो समंदर को भी हैरत हुई …… कितना तन्हा शख़्स है, किसी को पुकारता भी नही…..
दिल्लगी नहीं हमारी
दिल्लगी नहीं हमारी शायरी जो किसी हुस्न पर बर्बाद करें,यह तो एक शमा है जो आपके नूर का कयाम है. दिल ❤से?
हल्का गुरूर है
वो जो उनमें हल्का हल्का गुरूर है.. सब मेरी तारीफ का कुसूर है..।।
नजर की बात है
नजर-नजर की बात है कि किसे क्या तलाश है, तू हंसने को बेताब है, मुझे तेरी मुस्कुराहटों की ही प्यास हैं…
तेरे दर से मिला है
रुतबा मेरे सर को तेरे दर से मिला है,हलाकि ये सर भी मुझे तेरे दर से मिला है,ऒरो को जो मिला है वो मुकदर से मिला है,हमें तो मुकदर भी तेरे दर से मिला है
हाथ की लकीरें
हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो…. मेरे होश ही उड़ा दिये..! मेरा हाथ देख कर बोला… “तुझे मौत नहीं किसी की चाहत मारेगी…
जन्नत नसीब नहीं हो
ऐ इश्क __!!! जन्नत नसीब नहीं हो सकती तुझे कभी…. बड़े मासूम लोगों को बर्बाद किया है तूने|
जाग रहे हॊ
जाग रहे हॊ न अब तक, मैनें कहा था न ईश्क मत करना…!
आ के अब
आ के अब यूँ सहा नहीं जाता दूर तुझ से रहा नहीं जाता दरगुज़र िकतना भी करलूँ मुझसे अब चुप रहा नहीं जाता नेक बख़ती की बात सुनता हूँ तो भी अच्छा हुआ नहीं जाता दिल में ऐसी उमंग उठती है चाहूँ भी बारहा, नहीं जाता क्यों पसो पेश में पड़ा है तू यार सोचा… Continue reading आ के अब