घर से निकले थे

घर से निकले थे हौसला करके लौट आए ख़ुदा-ख़ुदा करके ज़िंदगी तो कभी नहीं आई मौत आई ज़रा-ज़रा करके…!!

इस शहर के

इस शहर के अंदाज अजब देखे है यारों ! गुंगो से कहा जाता है, बहरों को पुकारो !!

उसे ज़ली हुई लाशें

उसे ज़ली हुई लाशें नज़र नही आती मग़र वह सुई से धागा गुज़ार देता है

लिबास तय करता है

लिबास तय करता है आदमी की हैसियत.. कफ़न ओढ़ लो तो दुनिया कांधे पे उठाती है..

तुझे जी नहीं पा रहे हम

तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में,तुझे वक़्त ही नहीं दे पा रहे हम,माफ़ करना ऐ ज़िंदगी, तुझे जी नहीं पा रहे हम…..

मीठी यादों के साथ

मीठी यादों के साथ गिर रहा था, पता नहीं क्यों फिर भी मेरा वह आँसु खारा था…

यू तो फूल बहूत थे

यू तो फूल बहूत थे बागो मे पर हमे पंसद वो था जो सब से अकेला था..!!!!

कोई पटवारी वाकिफ़ है

कोई पटवारी वाकिफ़ है क्या तुम्हारा, अपनी ज़िन्दगी तुम्हारे नाम करवानी थी

मैं तो मोम था

मैं तो मोम था इक आंच में पिघल जाता… तेरा सुलूक़ मुझे पत्थरों में ढाल गया….

कोई ये कैसे बताये

कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों हैं वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों हैं यही होता है तो आखिर यही होता क्यों हैं |

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