ये तेरी बातें

ये तेरी बातें…. बात बात पर याद आती है मुझे|

वो पत्थरो से मांगते है

वो पत्थरो से मांगते है, अपनी मुरादे दोस्तों; हम तो उनके भक्त है, जिनके नाम से पत्थर भी तैरते है ..

वजह-ए-बर्बादी

अपनी वजह-ए-बर्बादी सुनाये तो मजे की है…!!! जिदंगी से युं खेले….जैसे दुसरे की है….!

बिछड़े हुए दोस्तों की याद

आती है ऐसे बिछड़े हुए दोस्तों की याद, जैसे चराग जलते हों रातों को गांव में।

तुमसे वजह मिल गयी है

जीने की तुमसे वजह मिल गयी है.. बड़ी बेवजह ज़िन्दगी जा रही थी..!

वही हाल कर दिया

मुद्दतों बाद उस ला-परवाह ने.. हाल पूँछ कर… फिर वही हाल कर दिया..!!

लफ्ज की परवाह चाहिए

दौलत नही, शोहरत नही,न वाह चाहिए…. कैसे हो..?? दो लफ्ज की परवाह चाहिए…

दिल पागल है

दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है|

जिंदगी आसान बहुत हो गई

कुछ बातों के मतलब हैं और कुछ मतलब की बातें जब से ये फर्क जाना, जिंदगी आसान बहुत हो गई|

तस्वीर रह गई

सिर्फ तस्वीर रह गई बाकी जिसमें हम एक साथ बैठे हैं …॥

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