हम तो मशहुर थे

हम तो मशहुर थे अपनी तनहाइयों के लिए , मुद्तों बाद किसी ने पुकारा है, एक पल तो हम रुक कर सोचने लगे, कया यही नाम हमारा है ?

मुस्कुराने से शुरु और रुलाने पे

मुस्कुराने से शुरु और रुलाने पे ख़त्म.. ये वो ज़ुल्म है जिसे लोग मुहब्बत कहते है…!

कदम रुक से गए

कदम रुक से गए आज फूलो को बिकता देख, वो अक्सर कहा करते थे की प्यार फूलो जैसा होता हें…

शतरंज में वजीर

शतरंज में वजीर और ज़िन्दगी में ज़मीर, अगर मर जाये तो खेल ख़त्म हो जाता है…..

हँसकर कबूल क्या करलीं

हँसकर कबूल क्या करलीं, सजाएँ मैंने……. ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया, हर इलज़ाम मुझ पर लगाने का……

अच्छे थे तो किसी ने

अच्छे थे तो किसी ने हाल तक नहीं पूछा……!! बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चर्चे है….

गगन तेरे लिए हूं

गगन तेरे लिए हूं मैं जमी मेरे लिए है तू। हकीकत और ख्वाबों में ख़ुशी मेरे लिए है तू। जमाना बेरहम है पर हकीकत जान ले ये भी, बना तेरे लिए हूं मैं बनी मेरे लिए है तू।

बंधी है हाथ पे

बंधी है हाथ पे सब के घड़ियाँ मगर, पकड़ में एक भी लम्हा नहीं..

घरों पे नाम थे

घरों पे नाम थे नामों के साथ औहदे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला।

वो अफसाना जिसे

वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा……

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