मैं वो अदना पेड़ हूँ

मैं वो अदना पेड़ हूँ, जो है शुष्क नितांत। भीतर से हारा हुआ, मनोभाव से शांत।।

जीवन जीना हो तो

जीवन जीना हो तो दर्पण की तरह जीओ, जिसमें स्वागत सभी का हो लेकिन संग्रह किसी का भी नहीं.

खुदा की रहमत में

खुदा की रहमत में अर्जियाँ नहीं चलतीं दिलों के खेल में खुदगर्जियाँ नहीं चलतीं चल ही पड़े हैं तो ये जान लीजिए हुजुर, इश्क़ की राह में मनमर्जियाँ नहीं चलतीं।

ना जाने कैसे

ना जाने कैसे इम्तेहान ले रही है जिदगी, आजकल, मुक्दर, मोहब्बत और दोस्त तीनो नाराज रहते है|

जिंदगी में प्यार

जिंदगी में प्यार क्या होता है वो उस शख्स से पूछो.. जिसने दिल टूटने के बाद भी इंतजार किया हो|

बिन धागे की सुई

बिन धागे की सुई सी हो गयी है, ये जिंदगी, सिलती कुछ नही बस चुभती जा रही है..

लिख दू कुछ

लिख दू कुछ ऐसा या कुछ ऐसा काम मैं कर जाउ, फूट-फूट कर रोऐ दुनिया जिस दिन मैं मर जाउ|

जब भी देख़ता हूँ

जब भी देख़ता हूँ ….. तेरे इश्क़ की पाकीज़गी …….. दिल करता …… तेरी रूह को काला टीका लगा दूँ …!!

जब बात रिहाई की

जब बात रिहाई की आयी पता नहीं जुदाई लगी मुझे।

नए कपड़े क्या पहन लिए

चूम कर कफ़न में लिपटें मेरे चेहरे को, उसने तड़प के कहा नए कपड़े क्या पहन लिए, हमें देखते भी नहीं..

Exit mobile version